हरियाणा

olympics 2024: 57 किलोग्राम कुश्ती वर्ग में भारत को छठा मेडल दिलाने वाले अमन सहरावत की प्रेरणादायक कहानी

भारतीय पहलवान अमन सहरावत ने पेरिस ओलंपिक्स में 57 किलोग्राम कुश्ती वर्ग में भारत को छठा मेडल दिलाया। अमन ने कांस्य पदक जीतकर न केवल देश का नाम रोशन किया, बल्कि अपने करियर का सबसे महत्वपूर्ण क्षण भी हासिल किया। इस मुकाबले में उन्होंने अपने विरोधी को कभी भी हावी नहीं होने दिया और पूरे मैच के दौरान बढ़त बनाए रखी। उनकी यह जीत भारतीय कुश्ती के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

भारत के युवा पहलवान अमन सेहरावत की कहानी न केवल प्रेरणादायक है बल्कि लाखों लोगों के लिए एक उदाहरण भी है। 10 साल की उम्र में मां-बाप का साया सिर से उठ जाना, जीवन में कठिनाइयों से जूझना और फिर भी अपने सपने को साकार करने के लिए संघर्ष करना—यह सबकुछ अमन की जिंदगी की सच्चाई है। उनके दादा ने उन्हें अखाड़े तक पहुंचाया, और अब अमन ओलंपिक गोल्ड मेडल को भगवान की तरह पूजते हैं।

प्रारंभिक जीवन और संघर्ष

अमन सेहरावत का जन्म हरियाणा के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनका बचपन अन्य बच्चों की तरह सामान्य नहीं था। जब अमन केवल 10 साल के थे, तब उनके माता-पिता का निधन हो गया। यह उनके जीवन का सबसे बड़ा झटका था। परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से ही कमजोर थी, और अब अमन की परवरिश का जिम्मा उनके दादा पर आ गया था।

दादा का साथ और पहलवानी की शुरुआत

अमन के दादा ने उनका हाथ थामा और उन्हें कभी भी हिम्मत नहीं हारने दी। दादा को पता था कि अमन में कुछ खास है, और उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन की जरूरत है। उन्होंने अमन को गांव के अखाड़े में पहलवानी सिखाने का निर्णय लिया। इसी अखाड़े से अमन की कुश्ती की यात्रा शुरू हुई। दादा ने अमन को हर दिन अखाड़े में भेजा और उनकी देखभाल की। अमन ने भी अपने दादा की उम्मीदों को कभी टूटने नहीं दिया और पहलवानी को पूरी मेहनत और लगन से सीखा।

कठिनाइयों से भरा सफर

अमन का सफर आसान नहीं था। उन्होंने हर कदम पर कठिनाइयों का सामना किया। गांव के साधारण अखाड़े से शुरू होकर अमन ने अपनी मेहनत से धीरे-धीरे बड़े अखाड़ों में अपनी जगह बनाई। उनके पास संसाधनों की कमी थी, लेकिन उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और जुनून से कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। शुरुआती दिनों में उनके पास अच्छे खाने और सुविधाओं की कमी थी, लेकिन अमन ने इन सबको कभी अपने सपने के आड़े नहीं आने दिया।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान

अमन की मेहनत रंग लाई जब उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने अपने दांव-पेंच से सभी को प्रभावित किया। धीरे-धीरे उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी अपनी जगह बनाई। अमन ने अपनी पहली बड़ी जीत 2023 में हासिल की, जब उन्होंने एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीता। यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इस जीत ने उन्हें और भी मजबूती से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

Aman Sehrawat in Olympics 2024
Aman Sehrawat in Olympics 2024

ओलंपिक का सपना

अमन का सबसे बड़ा सपना ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना है। वह इसे भगवान की तरह पूजते हैं। उनका मानना है कि यह मेडल न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात होगी। अमन दिन-रात इसी सपने को साकार करने के लिए मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए अपनी दिनचर्या को पूरी तरह से ओलंपिक के लिए तैयार कर लिया है। उनका कहना है कि जब तक वह यह गोल्ड मेडल नहीं जीत लेते, तब तक वह चैन की नींद नहीं सो सकते।

दादा के सपने को पूरा करने की कोशिश

अमन के लिए उनका दादा न केवल उनके परिवार के सदस्य हैं, बल्कि उनके गुरु और प्रेरणास्त्रोत भी हैं। अमन कहते हैं कि उनके दादा ने ही उन्हें पहलवानी की दुनिया में कदम रखने के लिए प्रेरित किया और हमेशा उनका साथ दिया। दादा का सपना है कि अमन एक दिन ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करें। अमन भी अपने दादा के इस सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।

अमन की दिनचर्या और तैयारी

अमन की दिनचर्या पूरी तरह से कुश्ती के लिए समर्पित है। वह सुबह जल्दी उठते हैं और सबसे पहले अखाड़े में प्रैक्टिस करते हैं। इसके बाद वह अपने कोच के साथ तकनीकी और फिजिकल ट्रेनिंग करते हैं। अमन का डाइट प्लान भी खास तरीके से तैयार किया गया है, जिसमें प्रोटीन और विटामिन्स की मात्रा अधिक होती है। उनका कहना है कि उनके शरीर को मजबूत बनाए रखने के लिए यह डाइट बहुत महत्वपूर्ण है।

समर्थकों और परिवार का सहयोग

अमन के इस सफर में उनके परिवार और समर्थकों का बहुत बड़ा योगदान है। उनके दादा के अलावा उनके कोच और गांव के लोग भी हमेशा उनके साथ खड़े रहे हैं। अमन कहते हैं कि उनका परिवार और गांव के लोग ही उनकी सबसे बड़ी ताकत हैं। उन्होंने हमेशा अमन का हौसला बढ़ाया है और उन्हें अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।

ओलंपिक 2024: अंतिम चुनौती

अब अमन सेहरावत के सामने सबसे बड़ी चुनौती है—पेरिस ओलंपिक 2024। अमन इस प्रतियोगिता के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और उनका पूरा ध्यान इस पर केंद्रित है। वह दिन-रात इसी सोच में लगे हैं कि कैसे वह इस प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत सकते हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी इस पल के लिए समर्पित कर दी है और अब वह इसे किसी भी कीमत पर हासिल करना चाहते हैं।

अमन सेहरावत का संदेश

अमन सेहरावत का कहना है कि कठिनाइयाँ जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन अगर आपके अंदर आत्मविश्वास और जुनून है, तो आप किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। उनका मानना है कि मेहनत और धैर्य से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। अमन अपने जीवन की कहानी से यह संदेश देना चाहते हैं कि चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न हों, अगर आप अपने सपनों के प्रति समर्पित हैं, तो आप उन्हें जरूर पूरा कर सकते हैं।

Jiya

जिया सिंह, एक अनुभवी हिंदी समाचार लेखक हैं, जिन्हें मीडिया इंडस्ट्री में करीब 5 साल का एक्सपीरिएंस है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक ऑनलाइन समाचार वेबसाइट से की थी, जहां उन्होंने हिंदी समाचार और बिजनेस समेत कई सेक्शन में काम किया। इन्हें टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल और बिजनेस से जुड़ी न्यूज लिखना, पढ़ना काफी पसंद है। इन्होंने इन सभी सेक्शन को बड़े पैमाने पर कवर किया है और पाठकों लिए बेहद शानदर रिपोर्ट पेश की हैं। जिया सिंह, पिछले 1 साल से लोकल हरियाणा पर पाठकों तक सही व स्टीक जानकारी पहुंचाने का प्रयास कर रही है।

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